पूज्य प्राची देवी जी का जन्म 5 जनवरी 1994 (बुधवार) में ग्राम शाहपुरा, जिला जबलपुर मध्य प्रदेश, भारत में हुआ था। उनका जन्म पवित्र हिन्दू ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनके पिता आचार्य राजकिशोर शुक्ल और उनकी मां रश्मि शुक्ला जी है। केवल 5 वर्ष की छोटी-सी आयु में उनका यह भक्तिमय जीवन शुरू हुआ था, जो अब तक जारी है।
पूज्य प्राची देवी जी | |
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जीवन चरित्र (Biography)
वह आध्यात्मिक परिवेश में पली-बढ़ी और उसने बहुत ही कम उम्र में भजन और भगवद् गीता के श्लोकों का पाठ करना शुरू कर दिया। उनके पिता भगवद गीता के प्रचारक हैं
प्राची देवी विभिन्न भारतीय धार्मिक ग्रंथों की एक लोकप्रिय उपदेशक बन गई हैं; विशेष रूप से भगवद् गीता और राम कथा। इन शास्त्रों के छंदों का पाठ करते हुए, वह कई अन्य लोकप्रिय ग्रंथों, जैसे रामचरितमानस, महाभारत, पद्म पुराण, गरुण पुराण और अग्नि पुराण के संदर्भ भी देते हैं।
भारत के अलावा, उसने यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई अन्य देशों में भी प्रचार किया है।
शिक्षा और दीक्षा(Education and Initiation)
बचपन में ही उनमें दिव्य अंतर्दृष्टि और महानता के लक्षण दिखाई दे गए थे। जब वह पाँच साल की हो गई, तो उसने पूरी भगवद् गीता का पाठ किया; अपने धाराप्रवाह गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्राची देवी ने बारहवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद, सिविल सर्विसेस की तैयारी करना शुरू कर दिया था। लेकिन पिता द्वारा मिले श्रीमदभागवत गीता का ज्ञान लोगों तक प्रसारित करने के लिए उन्होंने सिविल परीक्षा की तैयारी करना छोड़ दिया।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से प्राची देवी जी ने स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त की।
भागवत वाचन की शुरुआत(Beginning of Bhagwat Reading)
सत परम पूज्यनीय मेरे पिता जी जिन्होने मुझे भागवत जैसे विशिष्ठ ग्रन्थ का अध्ययन कराया उसे प्रभावी ढंग से बोलना सिखाया मेरे लिये मेरे जीवन के सबसे बड़े भगवान सबसे श्रेष्ठ गुरू परम पूज्यवाद प्रातः स्मरणीय मेरे पिता जी डॉ. पं. श्री राज किशोर जी शुक्ल है जिनका अनवरत इश्वर चिन्तन चलता रहता है जो आज भी निःशुल्क एवं समर्पित रूप से भागवत प्रवचन करते है।
प्राची देवी विभिन्न भारतीय धार्मिक ग्रंथों की एक लोकप्रिय उपदेशक हैं। विशेष रूप से भगवद् गीता और राम कथा की। इन शास्त्रों के छंदों का पाठ करते हुए वह रामचरितमानस, महाभारत, पद्म पुराण, गरुण पुराण और अग्नि पुराण जैसे कई अन्य लोकप्रिय शास्त्रों के संदर्भों का हवाला देती हैं।
दुनिया भर में भागवत कथा का प्रचार(Propagation of Bhagwat Katha Around The World)
मात्र 16 वर्ष की अल्पावस्था में 114 श्रीमद भागवत कथा सप्तदिवसीय अनुष्ठान का शायद यह कीर्तिमान मात्र भारतदेश में ही नही अपितु सम्पूर्ण की बात की जाये तो नी 1 इतनी भागवत कथा का अनुष्ठान का श्रेय इस अवस्था में किसी अन्य विद्वान को नही जाता इस यश और कीर्ति का गौरव शायद प्राची देवी को ही भगवत कृपा से प्राप्त है। यह राष्ट्र के लिये गौरव की बात है। भारत के अलावा, उसने यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका
कथा करते हुए |
सहित कई अन्य देशों में भी प्रचार किया है।
श्री हरि सिद्ध हनुमत सेवा ट्रस्ट(Shri Hari siddha Hanumat Sewa Trust)
श्री हरि सिद्ध हनुमत सेवा ट्रस्ट का मुख्य कार्य छात्र विकास, गौशाला, अनाथ बच्चों की सेवा चिकित्सा शिविर, विश्वकल्याण के लिए महा यज्ञ, निशुल्क शिक्षा आदि शामिल हैं और जरुरत मंदो के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध करना है।
1. बचो को निशुल्क शिक्षा
2. नर्मदा परिक्रमा वाचियो को निशुल्क भोजन सामग्री उपलब्ध कराना
3. विद्यासागर गौशाला गौ माता का सेवा कार्य
4. ग्रीष्म ऋतू में शीतल जल पेयऔ की व्यवश्था करना
5. गरीबो को भोजन सामग्री और वस्त्रो का वितरण करना
6. राजदीप विद्यालय गुरुकुलम जिला जबलपुर श्टोनि - गरीबो के निशुल्क शिक्षा
7. निशुल्क चिकित्षा शिविर का आयोजन करना
8. विश्वकल्याण की भावना से प्रतिवर्ष माँ नर्मदा के पावन तट पर सात दिन महा यज्ञ, भंडारा, गरीबो के लिए विशेष वयवस्था , 70 टिन घी, 60 कुंतल सामग्री, ब्राह्मण दक्षणा आदि कार्य सम्मिलित है
बाबा रामदेव जी के साथ |
इन्हें भी देखें(See Also)
Amreesh Kumar Aarya (वार्ता) 09:31, 14 May 2023 (UTC) Amreesh Kumar Aarya